माही के मनस्वी : हरिदेव जोशी
माही के मनस्वी : हरिदेव जोशी
जयपुर. आज अनोखा संयोग बना। राजस्थान के आदिवासी इलाके से राजनीति में तप कर निकले तीन बार राज्य के मुख्य मंत्री रहे हरदेव जोशी की पुण्य तिथि पर उनके जीवनवृत पर लिखी पुस्तक का लोकार्पण हुआ। पूरे 30 वर्ष पहले 28 मार्च 1995 को जोशी का मुंबई में बॉम्बे हॉस्पिटल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे पहले आम चुनावों से लेकर अंत तक विधान सभा के चुनाव सदैव जीतते रहे।
उनकी स्मृति में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय बनवाया और उसका पहला कुलपति एक श्रमजीवी पत्रकार सनी सेबेस्टियन को बनाया जो 'द हिन्दू' के विशेष संवाददाता थे। केरल से आकर जयपुर में बस गए उन्हीं सेबेस्टियन ने जोशी पर यह पुस्तक लिख कर बड़ा उपकार किया है।
राजस्थान में आज़ादी के दौर से निकले राजनेताओं की लंबी फ़ेहरिस्त रही है। उन बड़े नेताओं में कोई आपसी प्रतिस्पर्धा भी नहीं थी। सभी ने अपनी अपनी क्षमताओं के मुताबिक़ अपने अपनी हैसियतें बनाई। उनमें से अनेक नेताओं का मूल्यांकन करते हुए ग्रन्थ निकले। लेकिन लंबी राजनैतिक पारी खेलने के बावजूद अनेक पृष्ठभूमि में रह गए। आधुनिक राजस्थान का इतिहास दर्ज करने तथा उनका विश्लेषण करने में इतिहासकारों की कृपणता रही।
आज़ादी के बाद नवगठित राजस्थान के बहुत थोड़े राजनेताओं पर ही कोई संकलित सामग्री मिलती है। हमारे पत्रकार साथी सनी सेबेस्टियन ने हरदेव जोशी पर पुस्तक लिख कर यह कमी पूरी की है। ऐसी ही एक शोधपरक पुस्तक हमारे एक अन्य साथी पत्रकार गोपाल शर्मा, जो अब राजनीति में चले गए हैं, पंडित नवल किशोर शर्मा पर लिख चुके हैं।
भाई सेबेस्टियन उस पत्रकारिता विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति रहे हैं जो हरदेव जोशी के नाम पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने दूसरे कार्यकाल में स्थापित किया था जिसे उन्हें परास्त कर मुख्यमंत्री बनी वसुंधरा राजे ने विधानसभा में कानून पास करवा समाप्त कर दिया। गहलोत ने वापस लौट कर इसी नाम से नया विश्वविद्यालय बना दिया और इस बार एक अन्य श्रमजीवी पत्रकार ओम थानवी को नए विश्वविद्यालय का पहला कुलपति नियुक्त किया।
पत्रकार इतिहास का पहला त्वरित प्रारूप लिखते हैं। उनका लेखन भावी इतिहासकारों के लिए एक स्रोत भी होता है। ऐसी सामग्री समाज शास्त्रियों तथा राजनीतिक विज्ञानियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी होती है। हम मानते हैं कि भाई सेबेस्टियन ने यह दस्तावेज तैयार कर भावी शोधकर्ताओं की राह आसान की है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पूर्व मंत्री सी पी जोशी ने सेबेस्टियन की किताब And Quit Flows The Mahi: The Life And Time Of Harideo Joshi की 500 पेज की किताब का इस जलसे में विमोचन किया। यह पुस्तक हिन्दी में माही के मनस्वी: हरिदेव जोशी शीर्षक ने साथ ही प्रकाशित हुई है। इसकी अनुवादक है जनसम्पर्क सेवा की अवकाशप्राप्त अधिकारी श्रीमती पुष्पा गोस्वामी जो खुद भी प्रमुख लेखिका है।
इस मौके सेबेस्टियन ने किताब लिखने की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए कहा कि राजस्थान की राजनीति पर नहीं के बराबर किताबें लिखी गई हैं।
हालांकि समारोह के मुख्य अतिथि गहलोत थे मगर अपने संबोधन में विशेष अतिथि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सी. पी. जोशी ने अपनी राजनैतिक दृष्टि को प्रस्तुत करने वाला दिलचस्प भाषण देकर सबका दिल जीत लिया, जिसे अंग्रेजी में कहें तो "He Stole The Show".
पुस्तक के विमोचन समारोह में जवाहर कला केंद्र का रंगायन सभागार खचाखच भरा था जिसमें, राजनेता, पत्रकार, इतिहासकार, अकादमीशियन और साहित्यकार सभी मौजूद थे। किसी पुस्तक के लोकार्पण के जलसे में ऐसा विरले होता है।
(पुस्तक हाथ में लिए अतिथियों का चित्र भाई फारूक आफरीदी की वाल से)
* Rajendra Bora
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