आज का दिन: 6 सितंबर 2024, हरतालिका तीज देती है अखंड सौभाग्य!

आज का दिन: 6 सितंबर 2024, 

हरतालिका तीज देती है अखंड सौभाग्य!

देवी पार्वती ने भी अनजाने में भोलेनाथ की पूजा केवड़े से की थी, लेकिन.... भोलेनाथ ने उनकी पूजा स्वीकार की और केवड़े को भी फिर स्वीकार किया, इसीलिए वागड़, गुजरात में तो इसे केवड़ा त्रिज कहते हैं! 

- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी (व्हाट्सएप- 8302755688)
* हरतालिका तीज - शुक्रवार, 6 सितम्बर 2024
* हरतालिका पूजा मुहूर्त - 06:16 से 08:46
* तृतीया तिथि प्रारम्भ - 5 सितम्बर 2024 को 12:21 बजे
* तृतीया तिथि समाप्त - 6 सितम्बर 2024 को 15:01 बजे

हरत मतलब- हरण और आलिका मतलब- सखी, और इसीलिए हरतालिका तीज क्योंकि देवी पार्वती की सखी उन्हें उनके पिताश्री के प्रदेश से हर कर घनघोर जंगल में ले गई थीं शिवोपासना के लिए! 
हिन्दुस्तान की महिलाओं का प्रमुख त्योहार- हरतालिका व्रत, भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन होता है। इस दिन हस्त नक्षत्र में गौरी-शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है। हिन्दू महिलाओं का यह बहुत कठोर व्रत है जिसमें व्रतधारी महिलाएं पानी तक नहीं लेती क्योंकि देवी पार्वती ने भी शिव को पाने के लिए बड़ा कठोर व्रत किया था।
यों तो अलग अलग क्षेत्रों में में यह व्रत अलग अलग नाम से पुकारा जाता है और व्रत पूजा भी विविध तरीकों से की जाती है लेकिन मूल उद्देश्य शिव-पार्वती की पूजा है।  
प्राचीन समय से ही धार्मिक पूजाएं क्षेत्र में ही आसानी से उपलब्ध सामग्री से की जाती रही हैं और हरतालिका पूजा के लिए भी ऐसी ही सामग्री- गीली काली मिट्टी, बेलपत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल-फूल, तुलसी, मंजरी, यज्ञोपवित, वस्त्र और विविध प्रकार के फल-फूल-पत्ते आदि उपयोग में ली जाती हैं।
माता पार्वती के लिए सुहाग सामग्री में- मेहंदी, चूडिय़ां, बिछियां, काजल, कुमकुम, सिंदूर, कंघी और बाजार में उपलब्ध विविध सामग्री ली जाती है। इसके अलावा हर पूजा में उपयोगी- श्रीफल, कलश, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद, पंचामृत आदि सामग्री ली जाती है।
* इस अवसर पर सबसे पहले घर को व्रत के लिए साफ-सुथरा और पवित्र करके रंगोली आदि से आकर्षक सजाएं। 
* भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें। 
* याद रहे किसी भी पूजा में भाव का ज्यादा महत्व है इसलिए किसी भी तरह की शंका मन में नहीं रखें एवं अपनी श्रद्धा-शक्ति के अनुरूप पवित्र मन से पूजा करें। देवी पार्वती ने भी अनजाने में भोलेनाथ की पूजा केवड़े से की थी लेकिन भोलेनाथ ने उनकी पूजा स्वीकार की और केवड़े को भी फिर स्वीकार किया। इसीलिए गुजरात में तो इसे केवड़ा त्रिज कहते हैं! 
* वैसे हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है लेकिन स्थानीय परंपरा एवं धर्मगुरु के निर्देशानुसार पूजा करना श्रेष्ठ है। 
* पूजा में मिट्टी से शिव-पार्वती-गणेश की प्रतिमा बनाएं। 
* इसके बाद सुहाग की टोकरी में सारी सुहाग सामग्री सजा कर रखें और इन्हें देवी पार्वती को अर्पित करें।
* भोलनाथ को धोती-अंगोछा आदि वस्त्र अर्पित करें।
* पूजा-आराधना के बाद हरतालिका व्रत कथा सुनें।
* श्रीगणेश, भोलेनाथ और माता पार्वती की आरती करें।
* पूजा-व्रत में रह गई किसी कमी के लिए अपनी भाव-भाषा में क्षमा प्रार्थना करें।
* पूजा-व्रत-कथा के पश्चात समस्त सामग्री ब्राह्मण सद्परिवार को सादर प्रदान करें। 
* रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन के पश्चात प्रात:काल पूजा के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। भोग लगाएं और इसके बाद व्रत खोलें।
* यह व्रत करने से विवाहित-अविवाहित सभी महिलाओं की उत्तम परिवार की अभिलाषा पूर्ण होती है और अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। 

श्री त्रिपुरा सुंदरी धर्म-कर्म पंचांग : 6 सितम्बर 2024

* शक सम्वत 1946, विक्रम सम्वत 2081
* अमान्त महीना भाद्रपद, पूर्णिमान्त महीना भाद्रपद
* वार शुक्रवार, पक्ष शुक्ल, तिथि तृतीया - 15:01 तक, नक्षत्र हस्त - 09:25 तक, योग शुक्ल - 22:15 तक, करणगर - 15:01 तक, द्वितीय करण वणिज - 04:20, (7 सितम्बर 2024) तक
* सूर्य राशि सिंह, चन्द्र राशि कन्या - 23:00 तक
* राहुकाल 10:57 से 12:30
* अभिजित मुहूर्त 12:05 से 12:55


शुक्रवार चौघड़िया 6 सितम्बर 2024   

* दिन का चौघड़िया
चर - 06:16 से 07:49
लाभ - 07:49 से 09:23
अमृत - 09:23 से 10:57
काल - 10:57 से 12:30
शुभ - 12:30 से 14:04
रोग - 14:04 से 15:38
उद्वेग - 15:38 से 17:11
चर - 17:11 से 18:45

* रात्रि का चौघड़िया
रोग - 18:45 से 20:11
काल - 20:11 से 21:38
लाभ - 21:38 से 23:04
उद्वेग - 23:04 से 00:30
शुभ - 00:30 से 01:57
अमृत - 01:57 से 03:23
चर - 03:23 से 04:50
रोग - 04:50 से 06:16

* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!



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