दैनिक नवशोभ, 17 सितंबर 2024....

आज का दिन: 17 सितम्बर 2024  

पितरों के सम्मान में श्रद्धा से करें श्राद्ध!

- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी (व्हाट्सएप- 8302755688)

श्राद्ध का श्रद्धा के साथ गहरा संबंध है इसीलिए कहा जाता है कि... पितरों के सम्मान में श्रद्धा से करें श्राद्ध! 
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से पितरों के दिन प्रारंभ होते है जो अमावस्या तिथि तक रहते हैं.
पितरों का पितृ पक्ष के साथ विशेष संबंध माना गया है एवं धर्मग्रंथों के अनुसार अपराह्न व्यापिनी तिथि में ही श्राद्ध करना चाहिए.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्ध कर्म परलोक में सूक्ष्म शरीर धारी जीव की तृप्ति करता है और श्राद्ध कर्म से पितर तृप्त होकर शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हैं. 

* श्राद्ध के दिन....

पूर्णिमा श्राद्ध - 17 सितम्बर 2024, मंगलवार
प्रतिपदा श्राद्ध - 18 सितम्बर 2024, बुधवार
द्वितीया श्राद्ध - 19 सितम्बर 2024, बृहस्पतिवार
तृतीया श्राद्ध - 20 सितम्बर 2024, शुक्रवार
चतुर्थी श्राद्ध - 21 सितम्बर 2024, शनिवार
पंचमी श्राद्ध - 22 सितम्बर 2024, रविवार
षष्ठी श्राद्ध - 22 सितम्बर 2024, रविवार
सप्तमी श्राद्ध - 23 सितम्बर 2024, सोमवार
अष्टमी श्राद्ध - 24 सितम्बर 2024, मंगलवार
नवमी श्राद्ध - 25 सितम्बर 2024, बुधवार
दशमी श्राद्ध - 26 सितम्बर 2024, बृहस्पतिवार
एकादशी श्राद्ध - 27 सितम्बर 2024, शुक्रवार
द्वादशी श्राद्ध - 29 सितम्बर 2024, रविवार
त्रयोदशी श्राद्ध - 30 सितम्बर 2024, सोमवार
चतुर्दशी श्राद्ध - 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार
सर्वपितृ अमावस्या - 2 अक्टूबर 2024, बुधवार


श्री त्रिपुरा सुंदरी धर्म-कर्म पंचांग : 17 सितम्बर 2024

गणेश विसर्जन, अनन्त चतुर्दशी, पूर्णिमा श्राद्ध, पूर्णिमा व्रत, अन्वाधान, रवि योग

* शक सम्वत 1946, विक्रम सम्वत 2081
* अमान्त महीना भाद्रपद, पूर्णिमान्त महीना भाद्रपद
* वार मंगलवार, पक्ष शुक्ल, तिथि चतुर्दशी - 11:44 तक, नक्षत्र शतभिषा - 13:53 तक, योग धृति - 07:48 तक, क्षय योग शूल - 03:41, (18 सितम्बर2024) तक, करण वणिज - 11:44 तक, द्वितीय करण विष्टि - 21:55 तक
* सूर्य राशि कन्या, चन्द्र राशि कुम्भ - 05:44, (18 सितम्बर2024) तक
* राहुकाल 15:30 से 17:02
* अभिजीत मुहूर्त 12:02 से 12:51

मंगलवार चौघड़िया 17 सितम्बर 2024   

* दिन का चौघड़िया
रोग - 06:19 से 07:51
उद्वेग - 07:51 से 09:23
चर - 09:23 से 10:55
लाभ - 10:55 से 12:26
अमृत - 12:26 से 13:58
काल - 13:58 से 15:30
शुभ - 15:30 से 17:02
रोग - 17:02 से 18:33

* रात्रि का चौघड़िया
काल - 18:33 से 20:02
लाभ - 20:02 से 21:30
उद्वेग - 21:30 से 22:58
शुभ - 22:58 से 00:27
अमृत - 00:27 से 01:55
चर - 01:55 से 03:23
रोग - 03:23 से 04:51
काल - 04:51 से 06:20 

* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!






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