आज का दिनः 11 सितम्बर 2024, देवी श्रीमहालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए व्रत!

आज का दिनः 11 सितम्बर 2024, देवी श्रीमहालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए व्रत!

- प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी (व्हाट्सएप- 8875863494)

* महालक्ष्मी व्रत प्रारम्भ - बुधवार, 11 सितम्बर 2024 को
* महालक्ष्मी व्रत पूर्ण - मंगलवार, 24 सितम्बर 2024 को
* अष्टमी तिथि प्रारम्भ - 10 सितम्बर 2024 को 23:11 बजे
* अष्टमी तिथि समाप्त - 11 सितम्बर 2024 को 23:46 बजे

* जो श्रद्धालु देवी महालक्ष्मी की श्रीकृपा प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें श्रीमहालक्ष्मी व्रत करना चाहिए। 
* श्रीमहालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन से शुरू होता है। 
* यह व्रत श्रीराधा अष्टमी के दिन से किया जाता है तथा श्रीकृष्ण अष्टमी पर संपूर्ण होता है। 
* इस व्रत में प्रतिदिन देवी श्रीमहालक्ष्मी का पूजन किया जाता है।

ऐसे करें व्रत-पूजा...
* प्रात:काल पवित्र स्नान के बाद देवी श्री महालक्ष्मी की पूजा की तैयारी करें।
* श्रीगणेश पूजा के बाद देवी श्रीमहालक्ष्मी के समक्ष व्रत-पूजा का संकल्प लिया जाता है।
* पूजा में सोलह गांठ वाली डोरी ली जाती है और वह हाथ की कलाई पर बांधी जाती है।
* प्रयास रहे कि जो भी पूजन सामग्री आदि लें वह सोलह की संख्या में हो। पूजन सामग्री में- चन्दन, पुष्प, अक्षत, दूर्वा, श्रीफल नारियल आदि लेते हैं तो सोलह दिन अलग-अलग तरह के नैवेद्य लिए जाते हैं।
*  श्रीमहालक्ष्मी व्रत पूरा हो जाने पर वस्त्र से एक मंडप बनाया जाता है और उसमें देवी श्रीमहालक्ष्मी की प्रतिमा रखी जाती है। श्रीमहालक्ष्मी को पंचामृत से पवित्र स्नान कराया जाता है और फिर उसका सोलह प्रकार से पूजन-श्रंगार किया जाता है।
* संभव हो तो सोलह ब्राह्मण पति-पत्नी को भोजन कराया जाता है और दान-दक्षिणा प्रदान की जाती है। यदि संभव न हो तो यथाशक्ति सोलह पवित्र भक्तों को प्रसाद प्रदान किया जा सकता है।
* याद रहे, दिल से पूजा का संपूर्ण लाभ मिलता है, दर्द से पूजा का अधुरा लाभ मिलता है और डर से पूजा का कोई लाभ नहीं मिलता है, इसलिए जो भी पूजा-नैवेद्य-दान सामग्री उपलब्ध हो उससे पवित्र मन से व्रत-पूजा-उद्यापन करें, देवी श्रीमहालक्ष्मी का आशीर्वाद अवश्य मिलेगा।
* यदि संभव हो तो ही सोलह वर्ष के व्रत का संकल्प लें।
* इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, फल, दूध, मिठाई आदि का सेवन किया जा सकता है।

श्रीमहालक्ष्मी व्रत कथा...
* प्राचीन समय में एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था जो नियमित रूप से भगवान श्रीविष्णु का पूजन किया करता था।
* उसकी श्रद्धा-भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीविष्णु ने दर्शन दिये और ब्राह्मण से वर मांगने के लिये कहा।
* ब्राह्मण ने माता श्रीमहालक्ष्मी का स्थाई निवास उसके घर में होने की इच्छा प्रकट की।
* ब्राह्मण की इच्छा जानकर भगवान श्रीविष्णु ने बताया कि प्रतिदिन मंदिर के पास एक स्त्री आती है, जो उपले थापती है।
* हे ब्राह्मण! तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना क्योंकि वह स्त्री ही देवी श्रीमहालक्ष्मी हैं।
* ब्राह्मण ने ऐसा ही किया।
* देवी श्रीमहालक्ष्मी ने ब्राह्मण से कहा की तुम श्रीमहालक्ष्मी  व्रत-पूजन करो, सोलह दिनों तक व्रत करने के पश्चात चन्द्रदेव को अर्घ्य देने से तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।
* ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत-पूजन किया और परिणाम स्वरूप देवी श्रीमहालक्ष्मी ने ब्राह्मण के घर में स्थाई निवास किया।
* घर में देवी लक्ष्मी के स्थाई निवास के लिए यह व्रत उत्तम है।

श्री त्रिपुरा सुंदरी धर्म-कर्म पंचांग : 11  सितम्बर 2024

* राधा अष्टमी, महालक्ष्मी व्रत आरम्भ, दूर्वा अष्टमी, ज्येष्ठ गौरी पूजा, मासिक दुर्गाष्टमी, रवि योग
* शक सम्वत 1946, विक्रम सम्वत 2081
* अमान्त महीना भाद्रपद, पूर्णिमान्त महीना भाद्रपद
* वार बुधवार, पक्ष शुक्ल, तिथि अष्टमी - 23:46 तक, नक्षत्र ज्येष्ठा - 21:22 तक, योग प्रीति - 23:55 तक, करण विष्टि - 11:35 तक, द्वितीय करण बव - 23:46 तक
* सूर्य राशि सिंह, चन्द्र राशि वृश्चिक - 21:22 तक
* राहुकाल 12:29 से 14:01
* अभिजित मुहूर्त - नहीं

बुधवार चौघड़िया 11 सितम्बर 2024   

* दिन का चौघड़िया
लाभ - 06:17 से 07:50
अमृत - 07:50 से 09:23
काल - 09:23 से 10:56
शुभ - 10:56 से 12:29
रोग - 12:29 से 14:01
उद्वेग - 14:01 से 15:34
चर - 15:34 से 17:07
लाभ - 17:07 से 18:40

* रात्रि का चौघड़िया
उद्वेग - 18:40 से 20:07
शुभ - 20:07 से 21:34
अमृत - 21:34 से 23:01
चर - 23:01 से 00:29
रोग - 00:29 से 01:56
काल - 01:56 से 03:23
लाभ - 03:23 से 04:50
उद्वेग - 04:50 से 06:18

* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

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