#Pradosh आज का दिनः 1 अगस्त 2024, गुरुवार के प्रदोष व्रत से शत्रुओं का नाश होता है!
* प्रदोष व्रत - 1 अगस्त 2024, गुरुवार (रात्रि 07:10 से 09:16)
* कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 03:28 पीएम, 1 अगस्त 2024
* कृष्ण त्रयोदशी समाप्त - 03:26 पी एम, 2 अगस्त 2024
* कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ - 03:28 पीएम, 1 अगस्त 2024
* कृष्ण त्रयोदशी समाप्त - 03:26 पी एम, 2 अगस्त 2024
* भोलेनाथ जब प्रसन्न होते हैं तो समस्त दोष समाप्त कर परम प्रसन्नता, परम सुख प्रदान करते हैं!
* प्रदोष व्रत-पूजा बहुत ही सरल है क्योंकि भोलेनाथ एकमात्र देव हैं जो पवित्र मन से की गई पूजा से ही प्रसन्न हो जाते हैं।
* शिवोपासना में दुर्लभ मंत्र और कीमती पूजा सामग्री की जरूरत नहीं है, सच्चे मन से... नमः: शिवाय का जाप करें और शिवलिंग पर सर्वसुलभ पवित्र जल चढ़ाएं।
* सुख का अहसास कराता है- शांत मन और दुख का कारण है- अशांत मन, शिवोपासना से तुरंत मानसिक शांति प्राप्त होती है।
* प्रदोष व्रत में दिनभर निराहार रहकर सायंकाल पवित्र स्नान करने के बाद श्वेत वस्त्रों में शांत मन से भगवान शिव का पूजन किया जाता है।
* जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, प्रदोष व्रत को करने से हर प्रकार के दोष मिट जाते है।
* इस व्रत के प्रमुख देवता शिव हैं इसलिए उनके साथ-साथ शिव परिवार की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
विभिन्न दिनों के प्रदोष व्रत का अलग-अलग महत्व और प्रभाव होता हैै....
* बृहस्पतिवार के प्रदोष व्रत से शत्रुओं का नाश होता है।
* शुक्रवार प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
* शनिवार प्रदोष व्रत से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
* रविवार के दिन प्रदोष व्रत हमेशा स्वस्थ रखता है।
* सोमवार के दिन प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
* मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से ऋण-रोग से मुक्ति मिलती है।
* बुधवार के दिन यह व्रत करने सर्व कामना सिद्धि होती है।
* संपूर्ण वर्ष प्रदोष व्रत संपूर्ण सुख प्रदान करता है.
* संपूर्ण वर्ष प्रदोष व्रत संपूर्ण सुख प्रदान करता है.
श्री त्रिपुरा सुंदरी धर्म-कर्म पंचांग : 1 अगस्त 2024
* सूर्योदय 05:37 एएम, सूर्यास्त 07:10 पीएम
* चन्द्रोदय 03:07 एएम, 2 अगस्त 2024, चन्द्रास्त 05:08 पीएम
* शक संवत 1946, विक्रम संवत 2081
* अमांत महीना आषाढ़, पूर्णिमांत महीना श्रावण
* वार गुरुवार, पक्ष कृष्ण, तिथि द्वादशी - 03:28 पीएम तक, नक्षत्र मॄगशिरा - 10:24 एएम तक, योग व्याघात - 12:50 पीएम तक, करण तैतिल - 03:28 पीएम तक, द्वितीय करण गर - 03:24 एएम, (2 अगस्त 2024) तक
* सूर्य राशि कर्क, चन्द्र राशि मिथुन
* राहुकाल 02:05 पीएम से 03:47 पीएम
* अभिजित मुहूर्त 11:56 एएम से 12:51 पीएम
* चन्द्रोदय 03:07 एएम, 2 अगस्त 2024, चन्द्रास्त 05:08 पीएम
* शक संवत 1946, विक्रम संवत 2081
* अमांत महीना आषाढ़, पूर्णिमांत महीना श्रावण
* वार गुरुवार, पक्ष कृष्ण, तिथि द्वादशी - 03:28 पीएम तक, नक्षत्र मॄगशिरा - 10:24 एएम तक, योग व्याघात - 12:50 पीएम तक, करण तैतिल - 03:28 पीएम तक, द्वितीय करण गर - 03:24 एएम, (2 अगस्त 2024) तक
* सूर्य राशि कर्क, चन्द्र राशि मिथुन
* राहुकाल 02:05 पीएम से 03:47 पीएम
* अभिजित मुहूर्त 11:56 एएम से 12:51 पीएम
गुरुवार चौघड़िया- 1 अगस्त 2024
* दिन का चौघड़िया
शुभ - 05:37 एएम से 07:18 एएम
रोग - 07:18 एएम से 09:00 एएम
उद्वेग - 09:00 एएम से 10:42 एएम
चर - 10:42 एएम से 12:23 पीएम
लाभ - 12:23 पीएम से 02:05 पीएम
अमृत - 02:05 पीएम से 03:47 पीएम
काल - 03:47 पीएम से 05:29 पीएम
शुभ - 05:29 पीएम से 07:10 पीएम
रोग - 07:18 एएम से 09:00 एएम
उद्वेग - 09:00 एएम से 10:42 एएम
चर - 10:42 एएम से 12:23 पीएम
लाभ - 12:23 पीएम से 02:05 पीएम
अमृत - 02:05 पीएम से 03:47 पीएम
काल - 03:47 पीएम से 05:29 पीएम
शुभ - 05:29 पीएम से 07:10 पीएम
* रात्रि का चौघड़िया
अमृत - 07:10 पीएम से 08:29 पीएम
चर - 08:29 पीएम से 09:47 पीएम
रोग - 09:47 पीएम से 11:05 पीएम
काल - 11:05 पीएम से 12:24 एएम
लाभ - 12:24 एएम से 01:42 एएम
उद्वेग - 01:42 एएम से 03:00 एएम
शुभ - 03:00 एएम से 04:19 एएम
अमृत - 04:19 एएम से 05:37 एएम
चर - 08:29 पीएम से 09:47 पीएम
रोग - 09:47 पीएम से 11:05 पीएम
काल - 11:05 पीएम से 12:24 एएम
लाभ - 12:24 एएम से 01:42 एएम
उद्वेग - 01:42 एएम से 03:00 एएम
शुभ - 03:00 एएम से 04:19 एएम
अमृत - 04:19 एएम से 05:37 एएम
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!
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